gay love story baarish

मूसलाधार बारिश हो रही थी और वह कमरे में बैठा खिड़की से बाहर देख रहा था। बाहर बहुत बड़ा lawn था और वहां दो आम के पेड़ थे। पेड़ के पत्ते बारिश में नहा रहे थे। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह बारिश के पानी में खुश हो कर नाच रहे है। वहां एक telephone booth था ठीक उसके फ्लैट के सामने वह भी खुश नजर आ रहा था।हालाकि उसके खुशी की कोई वजह मालूम नहीं होती थी,उस बेजान चीज को भला क्या खुशी हो सकती है? लेकिन मनवीर ने जो बड़ा गंभीर था उसने ऐसा ही महसूस किया कि उसके आस पास जो भी चीज़े है वह खुशी में नाच गा रही है। सावन गुजर चुका था लेकिन बारिश नहीं हो रही थी। लोगों ने मंदिरों में इखट्टा हो कर प्राथनाएं की लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बादल आते जाते रहे लेकिन उनमें से एक बूंद भी नहीं टपकी। आखिर एक दिन काले काले बादल आसमान में घिर आए और पानी बरसने लगा। मनवीर को बादलो और बारिश से कोई दिलचसपी नहीं थी। उसकी जिंदगी उदास बन गई थी जैसे उसके जिंदगी में किसे ने प्यार का एक कतरा भी न बरसाया ...