gay love story baarish


              मूसलाधार बारिश हो रही थी और वह कमरे में बैठा खिड़की से बाहर देख रहा था। बाहर बहुत बड़ा lawn था और वहां दो आम के पेड़ थे। पेड़ के पत्ते बारिश में नहा रहे थे। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वह बारिश के पानी में खुश हो कर नाच रहे है। वहां एक telephone booth था ठीक उसके फ्लैट के सामने वह भी खुश नजर आ रहा था।हालाकि उसके खुशी की कोई वजह मालूम नहीं होती थी,उस बेजान चीज को भला क्या खुशी हो सकती है? लेकिन मनवीर ने जो बड़ा गंभीर था उसने ऐसा ही महसूस किया कि उसके आस पास जो भी चीज़े है वह खुशी में नाच गा रही है। 
                   सावन गुजर चुका था लेकिन बारिश नहीं हो रही थी। लोगों ने मंदिरों में इखट्टा हो कर प्राथनाएं की लेकिन कोई असर नहीं हुआ। बादल आते जाते रहे लेकिन उनमें से एक बूंद भी नहीं टपकी। आखिर एक दिन काले काले बादल आसमान में घिर आए और पानी बरसने लगा। मनवीर को बादलो और बारिश से कोई दिलचसपी नहीं थी। उसकी जिंदगी उदास बन गई थी जैसे उसके जिंदगी में किसे ने प्यार का एक कतरा भी न बरसाया हो। 
                 दो साल पहले उसने एक लड़के से जिसका नाम मन्नू था , मोहब्बत शुरू की थी। मगर वह एक तरफा मोहब्बत थी। मन्नू ने उसे ध्यान देने लायक भी ना समझा। 
                  सावन के दिन थे, बारिश हो रही थी। वह अपने घर से बाहर निकला। अपने शॉर्ट्स पहकर नहाया और बारिश के मजे लिए। आम बाल्टी में पड़े थे, वह अकेला बैठा उने चूस रहा था कि अचानक उसे चीखने की जोर जोर से हंसने की आवाजे सुनाई दी। उसने देखा की बगल वाले कैंपाउड में दो लकड़े साथ मे बारिश में खेल रहे है और खुशी में शोर मचा रहे है। उसके फ्लैट और बगल वाले फ्लैट में एक कम उचाई की दीवार थी। मनवीर उठा और आम चूसते हुए कम्पाउन्ड की दीवार के पास आ खड़ा हुआ। मनवीर ने दोनों लड़कों को देखा। दोनों बनियान और बॉक्सर पहनकर एक गेंद के साथ खेल रहे थे। तेज़ बारिश की वजह से उसके कपड़े बदन से चिपक गए थे, जिसमें से उनके जिस्म का अंदाजा मनवीर को ठीक से मिला। उसने किसी लड़कों को ऐसे नजर से पहले कभी नहीं देखा था। वह देर तक उन दोनों लड़कों को देखता रहा, जो बारिश में भीग भीग कर जोरो से हसते हुए खेल रहे थे। 
                          मनवीर ने उन दोनों लड़कों को पहले कभी नहीं देखा था, शायद वह नए ही रहने को आए हुए थे। मगर उस दिन उसने उनको बड़ी ललचाई हुई नजर से देखा। देखा ही नहीं बल्कि उसने गीले कपड़ों से उनके पूरे बदन का ढंग से माप भी लिया। 
                   मनवीर की उम्र उस समय २२ साल के करीब होंगी। उसे कोई तजुर्बा नहीं था। जिंदगी में पहली बार उसने जवान लड़कों के बदन को ऐसे देखा था, उसे ऐसा लगा जैसे उसके बदन में खून की गरम चिंगारियां दौड़ रही है। उसने उन दो लड़कों में से एक को चुनना चाहा, देर तक वह गौर करता रहा।                  एक लड़का बड़ा फुर्तीला था और दूसरा उससे कम। उसने सोचा फुर्तीला वाला अच्छा रहेगा, जो उसे भी फुर्तीला बना दे। फुर्तीला लड़का हैंडसम था। उसका बदन भी गठीला था, बारिश में भीगता हुआ जैसे कामदेव। थोड़ी देर के लिए मनवीर शायर बन गया। उसने कभी इस तरह नहीं सोचा था। लेकिन उस लड़के ने उसे ऐसे ऐसे शेर याद दिला दिए जो वह काफी पहले भूल चुका था। इसके अलावा फिल्मी गानों की धुन भी उसके कानों में रेंगने लगी। कम्पाउन्ड के पास खड़ा वह खुद को किसी फिल्म का हीरो महसूस कर रहा था। और उस लड़के को अपने सपनों का राजकुमार जो किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं था। उसके भीगे कपड़ों में से जो गठीला बदन झलक रहा था उसका कोई मुकाबला नहीं था।
                      मनवीर ने आम चूसना बंद कर दिया और उस लड़के से जिसका नाम प्रवीण था, इश्क़ लड़ाना शुरू कर दिया। शुरू शुरू में उसको बड़ी मुश्किलें आयी क्युकी उस लड़के के पास जाना उसको आसान नहीं नजर आता था। फिर उसे अपने मां बाबा का भी डर था। उसके अलावा उसे यह भी मालूम नहीं था कि उस लड़के को भी यह खिचन महसूस हुई या नहीं, जो मनवीर को हुई थी। बहुत दिनों तक वह इन्हीं उलझनों में गिरफ्तार रहा। रातों जागता रहता उस कंपाउंड की तरफ जाता लेकिन वो लड़का नजर नहीं आता। वह घंटो वाहा खड़ा रहता और वो बारिश वाला नजारा जिसे उसने देखा था, आखे बंद करके महसूस करता।
                             बहुत दिनों बाद आखिर उसे प्रवीण से मुलाकात करने का मौका मिल ही गया। वह अपने बाप की कार लेकर घर के काम से कहीं बाहर जा रहा था कि प्रवीण से उसकी मुठभेड़ हो गई। वह कार स्टार्ट कर ही चुका था कि बगल वाले बिल्डिंग से उसके सपनों का शहजादा बाहर निकाला और उसने हाथ से इशारा किया कि वो कार रोक दे। मनवीर घबरा गया, हर आशिक़ ऐसे मौकों पर घबरा ही जाता है। उसने कुछ ऐसे घबराहट के साथ कार रोकी कि उसका सिर स्टेरिंग से टकरा गया। मगर वह उस वक़्त शराब की नशे से जादा मुहब्बत के नशे में चूर था। उसको उसके मेहबूब ने खुद बुलाया था। प्रवीण के होठ सुर्ख गुलाबी रंग के थे, उसने सिर्फ मुस्कुराते हुए कहा, " माफ कीजिए मैंने आपको थोड़ी तफ्लिक दी, बारिश हो रही है ना तोह ऑटोरिक्शा मिलना थोड़ा मुश्किल है, और मुझे जरूरी काम से जाना है। आप मेरे पड़ोसी है इसलिए आपको ही तकलीफ दी।" "तकलीफ का क्या सवाल पैदा होता है, मै तोह.... मै तोह.... " उसकी जबान लड़खड़ाई। "मै आपसे पहले मिला तोह नहीं हूं लेकिन मैंने आपको पहले देखा था।" प्रवीण अपने सुर्ख मुस्कुराहट के साथ कार मै बैठ गया। और मनवीर से पूछा आपने मुझे कब देखा था? "आपकी बिल्डिंग के lawn में जब आप... जब आप... जब  आप एक और लड़के के साथ बारिश में खेल रहे थे।" प्रवीण ने कहा " ओह! तोह तुम मुझे देख रहे थे?" मनवीर बोला :- "ये घुस्ताकी तोह मैंने की है लेकिन इसके लिए मै माफी चाहता हूं। 
प्रवीण ने कहा, तुमने देखा क्या था? 
                           एक सवाल ऐसा था जिसका जवाब मनवीर नहीं दे सकता था। आए भाए साए करके रह गया। 
मनवीर:- जी कुछ नहीं, जो दो लड़के बारिश में खेल रहे थे और खुश हो रहे थे, बस वही देख रहा था। मै उस वक़्त आम चूस रहा था। 
प्रवीण (हस्ते हुए) :- तुम आम चूसते क्यों हो? काट कर क्यों नहीं खाते? 
                    मनवीर ने कार स्टार्ट की उसको समझ नहीं आ रहा था कि इस सवाल का क्या जवाब दे? उसने बात घुमा दी।
मनवीर :- मै तुम्हे कहा ड्रॉप कर दू? 
प्रवीण :- तुम मुझे कहीं भी ड्रॉप करदो वही मेरी मंजिल होंगी। 
              मनवीर ने यू महसूस किया जैसे उसे अपनी मंज़िल मिल गई है। हैंडसम लड़का जो बगल में बैठा है वह उसी का है। लेकिन उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उसका हाथ दबाए या उसकी कमर में एक दो सेकंड के लिए अपना हाथ डाल दे। बारिश हो रही थी मौसम बहुत खुशगवार था। उसने काफी देर तक सोचा, कार की स्पीड उसके ख़यालो के साथ साथ तेज़ होती गई। आखिर उसने उसे एक जगह रोक दिया। और एहसासों में डूब कर उसको अपने बदन से लिपटा लिया। उसने प्रवीण के गुलाबी होटों पर अपने होट रख दिए, उसे ऐसा लगा जैसे वह कोई लजीज आम चूस रहा है। प्रवीण ने भी उसे नहीं रोका। लेकिन मनवीर को जल्दी ही ये एहसास हुआ कि उसने बड़ी ही अश्लील हरकत की है और प्रवीण को उसकी ये हरकत पसंद नहीं  आयी । उसने डरते हुए कहा, "आप को कहा जाना है?" यूं तो प्रवीण के चेहरे पर नाराजगी के कोई भाव नहीं थे। लेकिन मनवीर यू महसूस कर रहा था जैसे वह उसके खून का प्यासा है। प्रवीण ने उसे बता दिया की उसे कहा जाना है। जब वह उस जगह पहुंचा तोह मालूम हुआ कि वह एक रेड लाइट एरिया है। 
                     जब उसने प्रवीण को कार से उतारा, तोह उसके चेहरे पे एक मुस्कुराहट थी। उसने कहा मै शाम को याहा होता हूं और यही काम करता हूं, तुम कभी जरूर आना। प्रवीण एक जिगोलो था। मनवीर जब चौक कर कार के तरफ लौटा, तो उसे ऐसा लगा कि वह भी एक कॉल बॉय है जो एक जिस्म फरोशी के खयाल में रहता है और उसके वो गुलाबी होंठ चूसता है। वह वापस घर लौट आया। बाहर तेज़ बरिश हो रही थी। वह गंभीर विचार में था। उसे ऐसा महसूस हुआ कि उसके आंसू कतरा बन कर बारिश में बह रहे है। 

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